महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र
प्लांट के पूरक कार्य
जटिल समस्याओं का समाधान

हाइड्रो सक्शन का विकास
  • भारत में पहली बार सलाल पावर स्टेशन में हाइड्रोसक्शन एक्स्क्लुज़न सौडिमैंटेशन प्रणाली का प्रयोग किया गया । इस प्रणाली का प्रयोग टनकपुर पावर स्टेशन के पावर चैनल में भी सफलतापूर्वक किया गया ।
पानी के नीचे के उपकरणों को सिल्ट इरोजन के प्रभाव से बचाने के उपाय
सिल्ट जोखिम/खतरा
  • भारत के हिमालय क्षेत्र में अवस्थित जल विद्युत केन्द्र तथा उत्तरी राज्यों में अवस्थित रन-ऑफ-द-रिवर जल विद्युत परियोजनाओं को सिल्ट इरोजन की समस्या का सामना करना पड़ता है ।
  • विशिष्ट रूंप से मानसून के समय जब कि 98% सिल्ट पार्टिकिल्स, जिनका आकार 0.20 मी.मी. तथा हार्डनेस मोह स्केल पर 7-8 के कण टर्बाइन के उपकरणो से टकराते है । इस आकार के सिल्ट के कणो को निकालने के लिये डिसिल्टिंग व्यवस्था स्थापित करना लागत प्रभावी नहीं है ।
  • इन पावर स्टेशनों का संचालन व रख-रखाव वास्तव में एक जटिल कार्य है, एवं सिल्ट संबंधी समस्याओं का सामना करने वाले स्टॉफ के लिए समर्पण व प्रोत्साहन की ज़रुरत है ।
फील्ड परीक्षण (फिल्ड-ट्रायल)
फील्ड परीक्षण (फिल्ड-ट्रायल)
  • एनएचपीसी के सलाल व बैरास्यूल पावर स्टेशन सिल्ट के कारण बुरी तरह प्रभावित रहे हैं। थर्मल स्प्रे कोटिंग, प्लाजमा कोटिंग, पोलिमैरिक कोटिंग चढ़ाने जैसे कार्य इन पावर स्टेशनों पर किए गए हैं, जिनमें से एच.वी.ओ.एफ प्रोसेस, डब्ल्यूसी.-को. कोटिंग (टंगस्टन कारबाइड कोबाल्ट कोटिंग) आदि से सिल्ट इरोजन में कुछ सफलता प्राप्त हुई है ।
  • अकेले ओईएम की सक्रिय भागीदारी करते हुये कोई संतोषजनक परिणाम हासिल नही किया जा सकता हैं । यदि ओईएम का प्रस्ताव आया तो एनएचपीसी फिल्ड परीक्षण के लिये विचार करेगी, एनएचपीसी ओईएम के साथ एक संयुक्त कार्य के तौर पर इस क्षेत्र में कार्य करके इस समस्या का समाधान करने पर विचार कर रही है ताकि सिल्ट इरोजन की समस्या का समाधान निकाला जा सके ।
विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान व विकास पर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना:-
  • एनएमएल (नैशनल मैटलर्जिकल लेबोरेट्री) जमशेदपुर द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान व विकास परियोजना के तहत " हाइड्रो जेनरेटर्स टरबाइन्स के लिए गाद-क्षरण प्रतिरोधक सामग्री के विकास " पर कार्य की गई, जिसमें एनएचपीसी सीपीआरआई और एसजेवीएनएल के साथ भागीदारी में भाग लेने वाली एजेंसियों में से एक थी।
  • इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले रहे 13Cr(क्रोमियम)-4Ni(निकिल) स्टेनलेस स्टील की तुलना में बेहतर यांत्रिक गुणों और घिसाव प्रतिरोधण क्षमता के प्रतिरोध वाले एक नई सामग्री को विकसित करना था।
  • इस परियोजना का वित्तीय पोषण विद्युत मंत्रालय, एनएचपीसी लिमिटेड, एसजेवीएनएल द्वारा किया गया और एसएफसी (स्थाई वित्तीय समिति ) के अनुसार इस परियोजना का अनुमोदित वित्तीय खर्च ₹ 299.79 लाख था।
  • सितंबर 2008 में प्रतिभागी एजेंसियों अर्थात् एनएचपीसी, एसजेवीएनएल, सीपीआरआई व नैशनल मैटलर्जिकल लेबोरेट्री (एनएमएल) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • एनएमएल द्वारा एक नया मिश्र धातु विकसित किया गया था और यह पाया गया कि नए मिश्र धातु की तन्यता ताकत(Tensile Strength) मूल से बेहतर थी। फील्ड टेस्ट किए जाने के लिए नए मिश्र धातु का इस्तेमाल अनुमोदित विक्रेता एम/एस भाभा एचईपी, हिमाचल प्रदेश के साथ दो घटकों जैसे नोजल सेट रिंग एवं स्पीयर के निर्माण के लिए किया गया तथा देखा गया कि टरबाइन घटक वर्ष 2012 की मानसून अवधि के दौरान गाद की स्थिति में अच्छी तरह से काम किया।
  • एनएचपीसी लिमिटेड को अपने सहयोगी भागीदारों, CPRI (सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट), SJVNL (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड) और CSIR (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद) के साथ, “A Composition For Erosion Resistance Steel And A Process For The Preparation Thereof” नामक एक आविष्कार के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार, "पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार" द्वारा दिनांक 22/03/2021 को प्रदान किया गया।यह अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अपने सहयोगी भागीदारों के साथ एनएचपीसी लिमिटेड को दिया गया पहला पेटेंट (बौद्धिक संपदा अधिकार) है।
अन्य
ऊर्जा-दक्षता तकनीक अपनाना
  • फिच-फ्यूल-कैटेलिस्ट एक पूर्व-दहन, कम उत्सर्जन एवं इंधन बचत सुधार तकनीक है । जिसमे विषम मिश्रित धातु को किसी गैसोलीन, डीजल या प्रोपेन शक्तियुक्त उपस्कर में ईंधन आपूर्ति वाली प्रणाली में स्थापित किया जाता है ।
  • इसका उपयोग इंजन शक्ति में सुधार लाने, हानिकारक उत्सर्जन को कम करने, एवं रख्-रखाव व प्रचालन लागतों में कमी लाने के लिए किया जाता है ।
  • एनएचपीसी ने चमेरा-I, चमेरा-II, रंगित एवं धौलीगंगा जल विद्युत स्टेशनों में फील्ड परीक्षण करवाए गए हैं और प्रारंभिक परिणाम उत्साहवर्धक पाए गए ।
  • फील्ड परीक्षणों के उत्साहवर्धक परिणामों के आधार पर, एनएचपीसी पावर स्टेशनों द्वारा निवेश पर रिटर्न (आरओआई) को ध्यान में रखते हुए पावर स्टेशनों के उपयोग (कार्य अवधि) आवश्यकता के आधार पर वाहनों / उपस्करों पर कैटेलिस्ट का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया गया ।
ऊर्जा का बेहतर उपयोग व निष्पादन
ऊर्जा लेखापरीक्षा
  • ऊर्जा लेखापरीक्षा का मतलब सत्यापन, मॉनिटरिंग एवं ऊर्जा उपयोग विश्लेषण करना है, जिसके तहत एक तकनीकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है और इस रिपोर्ट में ऊर्जा दक्षता में प्रगति के लिये, लागत मुल्यो को ध्यान में रखते हुये सिफारिश की जाती है तथा इस रिपोर्ट में ऊर्जा की खपत को कम करने के लिये कार्य योजना दिया जाता है ।
  • ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के अनुसार ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा पदनामित उपभोक्ताओं के तौर पर ऊर्जा इन्टेंसिव इंडस्ट्रीज की पहचान की है । सरकारी मान्यता प्राप्त ऊर्जा लेखापरीक्षकों से ऊर्जा लेखापरीक्षा करवाने के लिए किसी भी पदनामित उपभोक्ता को निर्देश दे सकती है । केन्द्र सरकार से किसी ऐसे दिशा-निर्देश के बिना ही एनएचपीसी ने स्वेच्छापूर्वक अपने पावर स्टेशनों की लेखापरीक्षा कारवाई है ।
  • ऊर्जा लेखापरीक्षा में लागत-बचत एवं वास्तविक निष्पादन के सत्यापन एवं पुनर्स्थापन एवं अभिकल्प परामीटरो पर आधारीत होती है ।
  • 18 पावर स्टेशनों अर्थात बैरा स्यूल, सलाल, टनकपुर, लोकटक, रंगित, चमेरा -1, उरी -1, चमेरा -2, चमेरा -3, धौलीगंगा, दुल्हास्ती, निमोमो-बाजो, टीएलडी -4, टीएलडी -3, परबाती -3, तीस्ता-वी, उरी -2, सेवा -2 पावर स्टेशन में ऊर्जा लेखापरीक्षा पूरी की गई है। एनर्जी ऑडिट की सिफारिशों को संबंधित पावर स्टेशनों में लागू कर दिया गया है।


कंप्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स : जल विद्युत क्षेत्र में विभिन्न प्रयोग
  • सीएफडी में फ्लूड-फ्लो की व्याख्या द्रव्यमान संरक्षण और संवेग संरक्षण के सिद्धांतों पर की जाती है । अत: 3-डी जटिल ज्योमिति के द्वारा होने वाले बहाव तथा द्रव्यमान स्थानांतरण का सिमुलेशन भी इसके (सीएफडी) माध्यम से किया जा सकता है ।
  • आधुनिक हाइड्रो-डिजाइनों के विकास में सीएफडी विश्लेषणों के उपयोग से उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है । इस टूल का उपयोग इंजीनियरों को जटिल डिजाइनों के मामले में शीघ्र तथा प्रभावी अध्ययनों के लिए विशेष रूंप से सहायक हुआ है तथा उन्हें हाइड्रालिक डिजाइनों में सुधार करने में उस स्तर तक सफलता प्राप्त कराता है जो कि केवल फिजिकल माडल अध्ययनों के माध्यम से ही प्राप्त हो सकती है ।
  • सीएफडी सॉफ्टवेयर का उपयोग डिजाइन प्रयोग सिमुलेशन में जैसे पेनस्टॉक, स्पिलवे डिजाइन, परियोजनाओं के सर्जशाफ्ट में तीन दिशाओं वाली प्रवाह पद्धति की जानकारी, एचआरटी व टेलरेस क्षेत्र, कॉफर डैम् लेआउट का परिशोधन, पावर हाउस इनटेक डिजाइन का परिशोधन आदि की सगणना करने के लिए किया जाता है । सीएफडी के लाभ निम्नानुसार हैं :
  •  प्रयोगात्मक कार्यों पर सीधे केंद्रित किया जाना ।
  •  प्रयोगात्मक कार्यों में प्रतिस्थापन या सहयोग करने हेतु सॉफ्टवेयर टूल ।
  •  प्रत्यक्ष मॉडल प्रयोगों से सस्ता एवं शीघ्र कार्य निष्पादन ।
  •  मूल स्वरूंप कार्यों में तेजी लाना ।
  •  ज्यामितीक मॉडलों का सही प्रस्तुतीकरण ।
  •  डिजाइन चक्रों की समय सीमा को कम करना तथा स्केल-अप करना ।
  •  नए विचारों पर शीघ्र परीक्षण ।
  •  डिजाइन की खामियों को सुधारने में मदद करना ।
  • जल निर्देशक प्रणाली में प्रवाह पद्धति का विश्लेषण करने के लिए एनएचपीसी के निगम मुख्यालय, फरीदाबाद में कंप्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक (सीएफडी)- प्रयोगशाला दिसंबर,2008 में सफलता पूर्वक स्थापित किया गया है । बैरा-सिउल पावर स्टेशन, लोकतक पावर स्टेशन और सलाल पावर स्टेशन के पेनस्टोक का सीएफडी विश्लेषण व अध्ययन, तीस्ता-V पावर स्टेशन के सर्ज साफ्ट व प्रेशर साफ्ट का सीएफडी विश्लेषण व अध्ययन तथा सुबानसिरी जल विद्युत परियोजना के बांध-स्पिल्वे का सीएफडी विश्लेषण व अध्ययन का कार्य पूरा कर लिया गया है।
 
@आर एंड डी