प्रस्तावना

एनएचपीसी का दृष्टिकोण सक्षम, जिम्मेदार और नवीन मूल्यों के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा के सतत विकास के लिए एक वैश्विक अग्रणी संगठन बनना है। इसका मिशन अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए नए परिवर्तनों द्वारा प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करना और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर स्वच्छ ऊर्जा के विकास में उत्कृष्टता प्राप्त करना है। एनएचपीसी ने हमेशा पर्यावरण के अनुकूल और सामाजिक-आर्थिक रूप से उत्तरदायी तरीके द्वारा कुशल और सक्षम अनुबंध प्रबंधन करके नवीन अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से परियोजनाओं को निष्पादित और संचालित करने का लक्ष्य रखा है। एनएचपीसी का सौम्य दृष्टिकोण देश के सुदूर व दूरदराज इलाकों में जलविद्युत परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन में प्रदर्शित होता है ।

जलविद्युत विकास के परिणाम मानव समाज को काफी लाभ प्रदान करते हैं, विशेषरूप से जब क्षेत्र विशेष की समग्र आवश्यकताओं का आकलन करने के साथ-साथ परियोजना के प्रभावों के न्यूनीकरण/ शमन हेतु विवेक सम्मत एवं अभिनव योजनाएं बनाई जाती हैं । इससे यह बात महसूस होती है कि जल संसाधनों के उपयोग की संभावना का दोहन केवल जलविद्युत के उत्पादन के प्रयोजन से नहीं किया जाना चाहिए। एनएचपीसी द्वारा अपनी परियोजनाओं को पर्यावरण के अनुकूल और सामाजिक रूप से उत्तरदायी तरीके से निष्पादित करने के लिए यथोचित्त तत्परता बरती जाती है। इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों पर न्यूनतम हस्तक्षेप और उपयोग करके तथा विभिन्न संरक्षण उपायों का नियोजन किया जाता है।

पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अध्ययन परियोजनाओं की आयोजना का अनिवार्य हिस्सा है जिसमें पर्यावरणीय संबंधी कई पक्ष जैसे भूमि, वायु, जल, सामाजिक-सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थ‍िक पक्ष शामिल होते हैं। पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा अनुमोदित संदर्भ की शर्तों (टीओआर) के अनुसार भूमि, पादप-समूह, जंतु-समूह, वायु, जल, उस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थ‍िक क्षेत्रों आदि पर पड़ने वाले पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थ‍िक पहलुओं की पहचान, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परियोजना के अन्वेषण चरण में ही कर लिया जाता है । वनों की कटाई, भूमि अपरदन , अवसादन/मिट्टी जमाव, बाढ़ नियंत्रण, मत्स्य पालन व मत्स्य प्रवास, स्थलीय एवं जलीय पारिस्थ‍ितिकी तंत्र, पौधों/ जंतुओं की दुर्लभ व खतरे में पड़ी प्रजातियों , सामाजिक-आर्थ‍िक/सामाजिक-सांस्कृतिक एवं पुरातत्वीय कारकों, पुनर्स्थापन एवं पुनर्वास, जन स्वास्थ्य, डाउनस्ट्रीम प्रभावों आदि से संबंधित समस्याओं पर विस्तृत अध्ययन किया जाता है और इस पर पड़ने वाले प्रभावों को विस्तृत पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट (ईआईए) में विधिवत चिन्हित किया जाता है । पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) में विभिन्न शमन योजनाओं को बनाकर इनके प्रभावों का उपयुक्त समाधान दिया जाता है । पर्यावरण,वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय मंजूरी देते समय इन रिपोर्टों का मूल्यांकन किया जाता है ।

एनएचपीसी की विभिन्न परियोजनाओं में पर्यावरणीय प्रबंधन योजनाएं क्रियान्व‍ित की जा रही हैं जिसमें परियोजना के लिए डाइवर्ट की गई वनभूमि के बदले क्षतिपूरक वनरोपण, जलग्रहण क्षेत्र सुधार (सीएटी) योजना, जैव-विविधता संरक्षण योजना, मत्स्य प्रबंधन योजना, प्राकृतिक दृश्य व सुंदरीकरण योजना, परियोजना क्षेत्र व जलाशय के दोनों ओर हरित पट्टी की विकास योजना, मलबा निपटान व उत्खनन स्थलों का पुनर्नवीकरण, पुनर्स्थापन व पुनर्वास आदि शामिल हैं । इसके अतिरिक्त, परियोजना और केंद्रीय स्तर की निगरानी समितियों के माध्यम से पर्यावरणीय सुरक्षा और ईएमपी की मौनीटरिंग की जाती है । ईएमपी क्षेत्रीय पर्यावरण को सुधारने और पर्यावरणीय उन्नयन में सहायता करता है ।


 

@पर्यावरण विभाग